एलिफेंट बॉन्ड क्या है?
एलिफेंट बॉन्ड क्या है?
सरकार समय समय पर कालेधन को सफेद करने के लिए योजनाऐं लाती रहती है!
बम्पर सफलता vdis-97 को मिली थी। उस योजना की खास बात थी, उस समय की prevailing टैक्स रेट 35% थी। योजना में 30% टैक्स लग रहा था, वो भी बिना ब्याज के। इसके अलावा योजना में कुछ glitches की वजह से इफेक्टिव टैक्स रेट 30 प्रतिशत से भी कम पड़ रही थी।
अभी मोदी सरकार में भी दो बार एमनेस्टी आई। एक ids व दयसरी pmgky ( प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना), इन्हें भी कोई खास सफलता नहीं मिली।
वाणिज्य मंत्रालय ने सितम्बर 2018 में सुरजीत भल्ला जी की अध्यक्षता में 12 सदस्यों का एक हाई लेवल एडवाइजरी ग्रुप ( HLAG) ट्रेड पालिसी व टैक्सेशन में सुधार के लिए गठित किया था जिसकी हाल ही में 314 पृष्ठ की रिपोर्ट आई है।
एलीफैंट बॉन्ड लाने का सुझाव इसी रिपोर्ट में है जो दबे हुए कालेधन व सम्पदा को व्हाइट करने के लिए है।
एलीफैंट बॉन्ड 20-25 वर्ष की दीर्घावधि के लिए होंगे एवं उनपर 5 प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा। जो टैक्सेबल होगा।
कुल कालेधन या सम्पदा पर 15% टैक्स लगेगा एवं 40% एलिफेंट बॉन्ड में इन्वेस्ट करना होगा।
FEMA, ब्लैकमनी, टैक्सेशन आदि सभी कानूनों से मुक्ति होगी।
हालांकि आयकर कानून में सामान्यतः 7 साल ( कुछ अपवादों को छोड़कर) से पुरानी सभी सम्पतियाँ जैसे प्रॉपर्टी, सोना आदि चाहे उनको ब्लैक मनी से ही क्यों न खरीदा हो इनकम टैक्स के दायरे से बाहर हो जाती हैं। अगर 7 साल से पहले का कमाया हुआ cash या बैंक बैलेंस भी आयकर के दायरे से बाहर है( कुछ अपवादों को छोड़कर)।
हिंदुस्तान जैसे देश में जहाँ बिल लेने की व रखने की परंपरा नहीं है वहाँ cash, सोने आदि के मामले में विवाद का विषय यह होता है कि ये सात साल पुरानी कमाई का है या within 7 साल की कमाई का है?
लेकिन करदाता ने किसी भी तरह के सबूतों से यह साबित कर दिया कि यह कालाधन, काली सम्पति सात साल से पुरानी है तो कुछ अपवादों को छोड़कर कोई टैक्स नहीं है।
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