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पुरानी सालों की इनकम टैक्स की डिमांड

पुरानी सालों की इनकम टैक्स की डिमांड

पुरानी सालों की इनकम टैक्स की डिमांड जिसकी करदाता को जानकारी नहीं है| हमारे सामने पिछले साल में ऐसे कई मामले आए हैं 

1. जिनमें आयकर विभाग से पुरानी सालों की डिमांड की रिकवरी की चिट्ठियां आई है
या
2. करदाताओं के रिफण्ड रोक लिए तथा उनके पास ऑनलाइन धारा 245 के नोटिस आए हैं कि क्यों न आपका रिफंड रोक लिया जाए क्योंकि आपकी पुरानी सालों की डिमांड बकाया है।

जब हम ऐसे मामलों की तह में गए तो पाया कि:-

पहले के समय कर्मचारी का टीडीएस कट जाता था। डीडीओ या employer उसको फॉर्म 16 दे देता था। जिसमें काटे गए इनकम टैक्स का पूरा विवरण होता था। आयकर विभाग ने आयकर रिटर्न के साथ फॉर्म 16 लगाने की अनिवार्यता करीब 10 साल पहले खत्म कर दी थी। तथा आयकर विभाग ने काटे गए टीडीएस का ऑनलाइन वेरिफिकेशन करना शुरू कर दिया।
जिनका वेरिफिकेशन नहीं हो पाया उनके खिलाफ आयकर विभाग ने डिमांड निकाल दी। कुछ कर्मचारियों को डिमांड के बारे में पता चला, कुछ को नहीं पता चला। क्योंकि कर्मचारियों के पते की समस्या सबसे ज्यादा रहती है क्योंकि ट्रान्सफर होते रहते हैं।

ऐसी ही स्थिति व्यापारियों की भी है, जिनके कटे हुए टीडीएस का ऑनलाइन वेरिफिकेशन नहीं हुआ उन केसेज में।

:::: क्या करें :-

1.सबसे पहले आयकर विभाग में अपना स्थाई पता दें। पैन डाटा बेस में चेंज कराएं। लिखित में चिट्ठी दें रसीद लें।

2. दूसरे डिमांड वाली साल का फॉर्म नम्बर 16 या 16ए की प्रति आयकर रिटर्न की प्रति के साथ लगाकर आयकर विभाग में एप्लिकेशन दें कि मेरा टीडीएस कट चुका है। मेरी कोई डिमांड बकाया नहीं है। फिर भी कोई डिमांड नोटिस अथवा प्रोसेसिंग की कोई डिमांड है तो डिमांड नोटिस की प्रति मांगी जाए।

3. डिमांड नोटिस की प्रति मिलते ही धारा 154 में रेक्टिफिकेशन कई एप्लीकेशन फ़ाइल करें। अगर धारा 154 में मामला कवर नहीं हो रहा हो तो तुरन्त अपील फ़ाइल करें।

4. फिर रिकवरी की चिट्ठी के जवाब में धारा 154 की एप्लिकेशन की प्रति या अपील की प्रति लगाकर जवाब दें या ऑनलाइन धारा 245 का रिफण्ड एडजस्ट करने का नोटिस है तो उसका ऑनलाइन या offline जवाब दें।
4. ऑनलाइन चेक भी कर लें कि कोई और डिमांड तो बकाया नहीं दिखा रखी है।

ऑनलाइन वेरिफिकेशन नहीं हो रहा है तो इसमें कर्मचारी की कोई गलती नहीं है, गलती डीडीओ या एम्प्लायर या deductor की है।करदाता से दो बार वसूली नहीं हो सकती। बशर्ते कि करदाता ने साबित कर दिया है कि उसका टीडीएस कट चुका है।

::: आयकर अधिनियम की धारा 205 में स्पष्ट प्रावधान है।

::::यशपाल साहनी बनाम रेखा hajarnavis,acit (2007) 293 ITR 538 एवं नरेश गोविंद vaze बनाम आईटीओ वार्ड iv, (2012) 209 टैक्समैन 30 बॉम्बे हाइकोर्ट के मामले में भी यह रूलिंग है कि करदाता ने टीडीएस कटने का proof दे दिया है तो दुबारा वसूली नहीं हो सकती।

सीए रघुवीर पूनिया,
जयपुर 9314507298

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Profile photo of CA Raghuveer Poonia CA Raghuveer Poonia

Jaipur, India

Since 1995, He is handling all aspects of trust- income-tax registration u/s 12A, 80G, 10 (23C), compliance work, FCRA, foreign grants, NITI Ayog registration, Auditing, due diligence of channel partners, GST on NGOs, Income Tax scrutiny related to NGO/NPO and Social Service Organisation (Society/Trust/section 8/25 of companies act). This is the core area of practice and he has been handling the most complex cases pertaining to the above aspects. He is handling litigation /cases/matters related to income tax, before the Assessing Officer, CIT Appeals, ITAT across India. He is handling litigation /cases/matters related to GST, before adjudicating authority, Commissioner (Appeals) across India. He provides consultancy and opinions on income tax and GST matters for corporates and B2B. He is a regular panelist on TV debates as an expert in the matters of economy, taxation, Income Tax, GST, etc. He is a regular blogger and avid contributor on Income Tax, GST, and current economic issues. He also, handle issues related to ED investigation under PMLA. He also handles matters before NCLT regarding IBC and Company Law. He is a regular speaker in seminars/webinars. He has developed a new passion to be a YouTuber on the core matters mentioned above.

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