मृत व्यक्ति को धारा 148 का नोटिस
मृत व्यक्ति को धारा 148 का नोटिस
पिछले सालों में कई सारे ऐसे मामले आए हैं जिनमें मृत व्यक्ति को धारा 148 के नोटिस दे दिए गए हैं।
कानून में यह तो स्पष्ट है कि अगर किसी भी आयकर कार्यवाही के दौरान व्यक्ति की मृत्य हो जाती है तो शेष कार्यवाही उत्तराधिकारी के विरुद्ध जारी रहेगी। धारा 159.
लेकिन कार्यवाही शुरू करने के लिए प्रारम्भिक नोटिस अगर मृत व्यक्ति के नाम जारी कर दिया है तो, वह नोटिस मान्य नहीं है तथा उस नोटिस के परिणामस्वरूप निकाली गई डिमांड भी शून्य या निष्प्रभावी होगी।
मृतक के खिलाफ कोई कार्यवाही करनी है तो प्रारम्भिक नोटिस ही उत्तराधिकारियों के नाम से देना होगा। अगर वह नोटिस मृतक के नाम से दे दिया तो वह नोटिस वैध नोटिस नहीं माना जाएगा।
आयकर विभाग का पक्ष:-
आयकर विभाग का ऐसे मामलों में एक तर्क तो यह रहता है कि हमें कैसे पता चलेगा कि अमुक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। न तो उसके उत्तराधिकारी ने आयकर विभाग को सूचित किया न ही उन्होंने पैन सरेंडर किया।
दूसरा आयकर विभाग धारा 292B का सहारा लेता है तथा कहता है कि ज्यों ही हमें इस बात का पता चलता है तो तुरन्त इस त्रुटि को सुधार लेते हैं तथा उत्तराधिकारी के नाम से नोटिस जारी कर देते हैं।
न्यायालयों के निर्णय:- न्यायालयों के ज्यादातर निर्णय मृत व्यक्ति के पक्ष में हैं। नोटिस को void ab initio माना गया है।
2018 का मद्रास हाइकोर्ट का निर्णय alamelu veerappen v. Ito,
अमरचंद श्रॉफ 1963, सुप्रीमकोर्ट,
शेख अब्दुल कादर 1959 मप्र
केसर देवी 2010 राजस्थान हाई कोर्ट
विपिन वालिया 2016 दिल्ली हाइकोर्ट
राशिद लाला 2016 गुजरात हाई कोर्ट
अगर सभी उत्तराधिकारियों को नोटिस नहीं दिया है तो:-
आयकर विभाग ने मृतक को तो नोटिस नहीं दिया लेकिन सभी उत्तराधिकारियों को नोटिस न देकर कुछ को छोड़ दिया। एक हाल ही के ट्रिब्यूनल के फैसले में ऐसे नोटिस को भी अवैध माना है।
सीए रघुवीर पूनिया, जयपुर 9314507298
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