धारा 148 के नोटिस
धारा 148 के नोटिस
इन दिनों में निर्धारण वर्ष
2012-13 के लिए बड़ी संख्या में आयकर विभाग ने धारा 148 के नोटिस दिए हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार जयपुर जयपुर में 4 से 5 हजार नोटिस दिए गए हैं।
धारा 148 का नोटिस उस स्थिति में दिया जाता है, जब आपकी कोई कर योग्य आय, कर लगने से छूट गयी हो चाहे आपने रिटर्न भरी हो या न भरी हो, सामान्य भाषा में इसे ‘re-opening of a case’ बोलते हैं।
अब धारा 148 का नोटिस मिलने के बाद दुबारा 30 दिन के भीतर रिटर्न दाखिल करनी है। जिससे आपकी कर योग्य आय का पुनर्निर्धारण (reassessment) किया जा सके।
अगर तीस दिन में रिटर्न तैयार नहीं हो पा रही है तो कारण बताते हुए, निर्धारण अधिकारी से और समय मांगें।
अगर कोई कर योग्य आय छूटी हुई मिलती है तो उसको शामिल करके, उस पर टैक्स व ब्याज जमा करा के दुबारा से रिटर्न दाखिल कर दें।
धारा 148 के नोटिस के जवाब में जो आयकर रिटर्न भरी जाती है उस रिटर्न की अनिवार्य रूप से गहन जाँच ( scrutiny) के बाद आयकर विभाग लिखित आदेश पारित करता है। जिसके लिए आपको सम्बंधित अवधि का बैंक स्टेटमेंट, उस अवधि में किए गए प्रॉपर्टी के ट्रांसेक्शन, अन्य फाइनेंसियल ट्रांसेक्शन जैसे:-शेयर, एफडी , क्लेम की गयी छूट जैसे हाऊसिंग लोन पर ब्याज, ट्यूशन फीस, lic, म्यूच्यूअल फण्ड, हैंडीकैप, बैंक ब्याज, हाउस रेंट, डोनेशन, शिक्षा ऋण आदि के सबूत पेश करने होंगे।
अगर नोटिस आ जाता है तो परेशान होने की या घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, कोई दिक्कत हो तो सम्बंधित निर्धारण अधिकारी से संपर्क करें। या अच्छे सीए या टैक्स कंसलटेंट की सहायता लें।
ध्यान रहे मार्च तक जारी किए गए नोटिसों के आदेश 31 दिसम्बर को टाइम बारिंग हैं, इसलिए यथा शीघ्र जवाब/कागजात पेश करें।
धारा 148 के अंतर्गत नोटिस जारी होने के कई कारण हो सकते हैँ जैसेआयकर रिटर्न में दिखाई गयी आय के अनुपात में अधिक राशि का प्रॉपर्टी, शेयर्स , म्यूच्यूअल फण्ड, एफडी आदि में निवेश, नकद में बैंक खाते में जमा, बेचीं गयी प्रोपर्टी को आयकर रिटर्न में ना दिखाना, बेचीं गयी प्रोपर्टी को आयकर रिटर्न में डीएलसी से कम पर दिखाना, टीडीएस कटा हो फिर भी आयकर रिटर्न न भरना या टीडीएस वाली आय को रिटर्न में न दिखाना।
अगर धारा 148 के नोटिस के जवाब में ईमानदारी से छुटी हुई आय पर कर व ब्याज जमा करा दिया जाता है तो विभाग पेनल्टी लगाने के बारे में सहानुभूति पूर्वक विचार करता है तथा पेनल्टी छूटने या न लगने की संभावना रहती है अन्यथा न्यूनतम 100% व अधिकतम 300% तक पेनल्टी लग सकती है। विभाग प्रॉसिक्यूशन भी लॉन्च कर सकता है।
धारा 148 के नोटिस को गंभीरता से लेकर टैक्स व ब्याज भर देंगे तो ठीक है अन्यथा भारी परेशानी हो सकती। सरकार कर चोरी के मामलों को लेकर बहुत गंभीर है।
सीए रघुवीर पूनिया, जयपुर 9314507298
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