टैक्स तो कमाई पर ही लागैलो
टैक्स तो कमाई पर ही लागैलो…
हर व्यक्ति की जुबान पर एक ही बात, नगर सेठ किरोड़ीमल के इनकम टैक्स का छापा। सायरनों की आवाज। चारों और जालीदार सुरक्षा कवच के साथ पुलिस, जैसे दूसरे ग्रह से आई हो। शहर में सन्नाटा। सिर्फ फुसफुसाहट। सरदारशहर एक छोटा कस्बा। लेकिन व्यापारी समुदाय का गढ़। सोने-चांदी के कारोबार व सट्टे का केंद्र। जिसके तार कलकत्ते, सूरत, बम्बई, दुबई व कराची से जुड़े थे। धन कुबेर। गुटखा किंग। शीशम की मंडी। बॉलीवुड में दासानियों का दबदबा। सेठ किरोड़ीमल दानवीर के नाम से विख्यात। सबसे ज्यादा टैक्स भरने वाले। इच्छापूर्ण माताजी का भव्य मंदिर। सबसे ज्यादा नजराना देने वाला। पिछले ही साल कर विभाग का सम्मान पत्र मिला। राष्ट्रीय कर्त्तव्य स्कोर में सबसे ऊपर ही होगा।
उस समय चक्रवर्ती रानी का राज था। वो पहली रानी थी, जिसने भारतभूमि पर अश्वमेघ यज्ञ किया। लोकप्रियता इतनी की रानी जनता से, दिन कहे तो दिन। रात कहे तो रात। धार्मिक इतनी की धर्म के लिए जीती, धर्म के लिए मरती। पूरे आर्यावृत को धर्ममय कर दिया। चाहे रोटी मिले या न मिले, मजाल है, जो कोई नागरिक धर्म की पालना में कोताही करे। जनकल्याण के लिए नए-नए आईडिया लाती थी। आईडिया लीक नहीं हो जाएं, इसलिए वह अपने सलाहकारों की राय भी नहीं लेती थी। भारतभूमि के संविधान में अभी तक “नागरिक अधिकार” सर्वोपरि थे। उससे पहले एक नया आर्टिकल जोड़कर यह प्रावधान किया गया कि ” राष्ट्रीय कर्त्तव्य” सर्वोपरि होंगे।
अधिकार उसी अनुपात में मिलेंगे, जितने % राष्ट्रीय कर्तव्य पूरे होंगे। एक राष्ट्रीय कर्तव्य मंत्रालय की स्थापना कर दी गई। ” राष्ट्रीय कर्तव्य चार्टर” जारी कर दिया गया। प्रतिवर्ष राष्ट्रीय कर्तव्य मंत्रालय, हर नागरिक की “राष्ट्रीय कर्तव्य मूल्यांकन रिपोर्ट” बनाता। जो गुप्त रखी जाती थी। जब भी कोई नागरिक अधिकारों की बात करता, सबसे पहले, उसका राष्ट्रीय कर्तव्य मूल्यांकन चैक किया जाता। पूरा राष्ट्र दिन-रात अपने राष्ट्रीय कर्तव्य रिपोर्ट कार्ड को स्ट्रांग करने में लगा था। पूरा राष्ट्र कर्त्तव्य मय था।एक बार रानी ने व्यापक जनहित के लिए मास्टरस्ट्रोक खेला।
उस समय सरदारशहर में एक रामकुमार सोनी नाम का घड़ाई का काम करने वाला सुनार था। उसको सोने-चांदी में सट्टा करने का चस्का था, जो आजकल के MCX ट्रेडिंग जैसा सा था। जिस दिन वो सट्टे में जीतता, तो अपने चेलों को पार्टी देता। दो चढ़ाने के बाद, मुँह खोलकर “सरदारशहर के पासपोर्ट” वाले अपने पीले दाँत दिखाते हुए कहता, ये देखो, मेरे चौके वाले दाँतों के बीच में ये स्पेस है, इसको देखकर संत राधासुख दास ने भविष्यवाणी की थी, कि तुम बहुत भग्यशाली हो, बड़े आदमी बनोगे।
सेठ किरोड़ीमल को पटखनी देकर, नगरसेठ बनना, उसका सपना था। घड़ाई के काम में मन नहीं लगता था। बार-बार यही सपना लेता कि, एक दिन वह सरदारशहर के नगर सेठ किरोड़ीमल की तरह 50 ग्राम सोने का ब्रासलेट, 100 ग्राम सोने की चैन पहनकर, सोने से मंढे हुए चौके वाले दाँत जिनके फ्लोराइड का पीलापन सोने से ढका होगा , मंच पर बैठा होगा और मंच से उदघोषिका घोषणा कर रही होगी, “सरदारशहर के नवोदित नगर सेठ ने सोने-चांदी के कारोबार से अपार धन कमाया है और उन्होंने सरदारशहर के रोडवेज़ बस स्टैंड को तुड़वाकर,आधुनिक सुख-सुविधाओं से सुसज्जित नए बस स्टैंड का निर्माण कराया है।
इतने में सायरन की आवाज सुनाई देती है। उदघोषिका मधुर स्वर में घोषणा करती है, कि नए बस स्टैंड के उद्घाटन के लिए, चक्रवर्ती महारानी पधार चुकी हैं
महारानी के मास्टरस्ट्रोक की वजह से बड़े-बड़े व्यापारी, हवाला कारोबारी, बड़े-बड़े नोकरशाह दहशत में थे। नौकरशाहों के ज्यादा दिक्कत नहीं थी, क्योंकि वो समाज का सबसे ब्रिलियंट तबका था। अपनी दो नम्बर की कमाई बिल्डर, जेवेलर आदि के पास लगाकर रखता था।
भारतभूमि पर, वैसे तो, हर कोई ईमानदार था। अपनी-अपनी परिभाषा के अनुसार। लेकिन भारतभूमि के कानून इतने आदर्श थे कि एक आदमी जिसने पूरे जीवन नोकरी करी। टैक्स भरा।और उसके पास 1000 मोहरों से अधिक मोहरें मिल गई और अगर आना-पाई के साथ हिसाब नहीं दे पाया व जाँच अधिकारी को संतुष्ट नहीं कर पाया, तो ब्याज और पेनलटी मिलाकर 1000 से ज्यादा हो जाएगी। जाँच अधिकारी, इतने कड़क कि कोई सच्चा आदमी भी, गवाही/बयान देने/ मदद करने से कतराता था।वकील की फीस और नजराना अपनी पत्नी की गाँठी से देना पड़ता। इसलिए जनता अपनी पुरानी मुद्रा को सरकारी खजाने से बदलवाने की बजाय, चोरी-छीपे सोना खरीदने में लगी थी। या खजाने की चौकीदारों से मिलकर बिना एंट्री के कमीशन के बदले उचन्ति में बदलवाने में लगी थी
लोग नगर सेठ किरोड़ीमल के पास पुराने सिक्के लेकर गहने, सोने के बिस्किट खरीदने जाते। किरोड़ीमल के नोकर उनको भगा देते, सिर्फ नई करेंसी।
मुद्राबन्दी की घोषणा से रामकुमार सोनी की आंखों में चमक आ गई। रामकुमार सोनी को अपना बस स्टैंड के उद्घाटन वाला सपना सच होता दिखने लगा। उसने अपने सब सम्पर्को को कह दिया, कि जिसके पास भी पुराने सिक्के पड़े हैं। उसके बदले वह, सोने के बिस्किट या गहने, दिलवा देगा। सिक्के पुराने, भाव उसका।
मास्टरस्ट्रोक से जो मुद्रा चलन में थी उसको गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। उसकी जगह 2-2 तोला के नए सोने के सिक्के चलाए गए। पुराने 1-1 तोला के सिक्के चलन के अयोग्य करार दे दिए गए अर्थात लीगल टेंडर नहीं रहे। महारानी को अपने गुप्तचरों से सूचना मिली थी, कि बहुत से नौकरशाहों, कालाबाजारियों, राजनेताओं, हवाला कारोबारियों ने कालाधन जमा कर रखा है। यह कालाधन आतंकवाद, मंहगाई, राजनैतिक अस्थिरता आदि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में काम आता है। घोषणा कर दी गई कि जिसके पास भी पुराने सिक्के हैं,वे खजाने में जमा कराकर रसीद ले लें। उसके बदले में धीरे-धीरे नए सिक्के मिलते रहेंगे।
लोग इतने डरे हुए थे। हिसाब-किताब देने के डर से। लोगों ने सीधे खजाने से सिक्के बदलवाने की बजाय रामकुमार सोनी के माध्यम से सोना खरीदना शुरू कर दिया।
उस समय सोने का बाजार भाव 100 रुपये तोला था। लेकिन रामकुमार सोनी 115 रुपए तोला बेचता। यानी 15% एक्स्ट्रा कमाता। खरीददार के यह फायदा था। पुरानी करेंसी खप जाती थी। सरकारी जांच अधिकारियों की पूछताछ से मुक्ति। नाम न बताने की गारण्टी। वकील की फीस व नजराने से मुक्ति। रामकुमार सोनी का काम खूब चला। रामकुमार सोनी ने 1000 तोला सोना बेच डाला इस 1 महीने में। यानि 1 लाख रुपए का। जिस पर कमाए 15 हजार रुपए। न हल्दी लगी, न फिटकरी। न स्टॉक था, न पूंजी। उन्ही ग्रहकों से एडवांस लेता। वो भी खुद नहीं रखता। किसी तीसरे को दिलवाता। और उसी तीसरे से सोने की डिलीवरी करवा देता। वही तीसरा रामकुमार सोनी को, उसका 15% का मार्जिन पहुंचा देता।
कर अधिकारियों में बैचेनी हुई। मुखबिर तैनात किए। मुखबिरों ने सूचना दी कि महारानी का प्लान रामकुमार सोनी चौपट कर रहा है। लेकिन कर अधिकारी जानते थे, कि रामकुमार सोनी घड़ाई का काम करने वाला, एक छोटा-मोटा सटोरिया है। जो मुंगेरीलाल के सपने लेता रहता है। इसके पीछे, मास्टरमाइंड कोई और है।
कर अधिकारियों में चिन्ता हुई। भारतभूमि का टॉप गुप्तचर जो “डब्ल्यू” के नाम से जाना जाता था, को लगाया गया, और कहा कि 24 घण्टे में मास्टरमाइंड का पता नहीं चला, तो आपकी पोस्ट गायब और देशनिकाला। महारानी ने अपने व्यक्तिगत गुप्तचर “WAR’ को भी इस मिशन में लगा दिया।महारानी WAR पर इतना भरोसा करती की जासूसी के साथ-साथ आंतरिक व बाहरी सुरक्षा, व विदेशों से सम्बंधित मामलों में भी उसकी चलती थी। कई बार विदेशियों के साथ मिलकर ‘WAR” बड़े गेम कर चुका था।
अगले दिन सेठ किरोड़ीमल के छापा पड़ा। छापे में पूरी पुलिस व छापे के अफसरों में सरदारशहर का कोई नहीं था। डर था कि लोकल सरदारशहर की पुलिस, सेठ के साथ मिलकर कहीं छापे को फैल न कर दे, क्योंकि सरदारशहर का हर आम व खास सेठ किरोड़ीमल से उपकृत था। सेठ किरोड़ीमल 1000 विधवाओं को मासिक पेंशन देता था। सरकार की पेंशन भले ही लेट हो जाए। मजाल है, जो सेठ किरोडीमल की पेंशन एक दिन भी लेट हो जाए। नालंदा के जैसी यूनिवर्सिटी थी। जिसमें सरदारशहर का हर बच्चा मुफ्त पढ़ता। 25% विदेशी विद्यार्थी। 25% सरदारशहर के बाहर के। इच्छापूर्ण माता का भव्य मंदिर। प्याऊ। धर्मशाला। अकाल राहत। एक दूसरी समानांतर सरकार जो थी।
सेठ किरोड़ीमल के छापे की कार्यवाही ऐसे अधिकारी को सौंपी गई जिसको पुलिस, गुप्तचरी, टैक्स तीनों विभागों का अनुभव था। सेठ किरोड़ीमल के खातों में हिसाब मिला कि 1लाख15 हजार रुपए का सोना कजोड़मल लावट को बेचा। कजोड़मल लावट नाम का कोई आदमी नहीं। आखिर किरोड़ीमल ने स्वीकार किया कि कजोड़मल लावट, रामकुमार सोनी का ही छद्म नाम है और यह सोना रामकुमार सोनी के जरिये ही मैंने बेचा है। कजोड़मल के नाम से जो एंट्री हैं, वो वास्तव में रामकुमार सोनी की ही हैं।
उधर रामकुमार सोनी पहले ही शक के दायरे में था। रामकुमार सोनी से पूछताछ शुरू हो गई। रामकुमार सोनी ने कजोड़मल लावट के नाम के ट्रांजेक्शन खुद के होना स्वीकार किया।
लेकिन रामकुमार सोनी जैसा पक्का इंसान नहीं देखा। प्राण जाए पर वचन न जाए। उसके परिवार में कुछ पुराने तस्कर थे। जो गोल्ड कंट्रोल एक्ट के समय सोने की तस्करी करते थे। उनसे सुन रखा था कि पुलिस के टॉर्चर की एक सीमा होती है, उसके बाद वह थक जाती है। जाँच अधिकारी जानना चाहते थे, कि वास्तव में कालाधन किसका था। उनके नाम-पते बताओ। पर रामकुमार टस से मस नहीं हुआ। रिश्तेदारों का अनुभव काम आया। अपने ग्राहकों से वादा जो किया था कि चाहे जान चली जाए।
वो उनका नाम नहीं बताएगा। अंत में रिश्तेदारों की बात सही निकली। जाँच अधिकारी थक गए। जांच अधिकारियों ने कहा कि अगर आप, असली ग्राहकों का नाम-पता नहीं बताओगे तो, पूरे 1 लाख 15 हजार रुपए आपकी काली कमाई मानते हुए टैक्स लगा देंगे। जांच पूरी होने के बाद, रामकुमार सोनी ने जांच अधिकारियों को कहा कि दो नम्बर का काम पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। चाहे पूरे, 1 लाख 15 हजार रुपए मेरी काली कमाई मानते हुए, टैक्स क्यों न देना पड़े।
अधिकारियों ने पूरे 1लख 15 हजार रुपये, रामकुमार सोनी की काली कमाई मान ली। टैक्स, ब्याज, पेनलटी लगा दी।
रामकुमार सोनी ने, टैक्स कोर्ट में अपील की। बड़ा वकील किया। अपील में फैसला रामकुमार सोनी के पक्ष में आया। कि टैक्स सिर्फ इनकम पर ही लगेगा। चाहे इनकम दो नम्बर की हो, चाहे एक नम्बर की। रामकुमार सोनी 15 हजार रुपए पर पहले ही टैक्स दे चुका था।
तब से सरदारशहर के व्यापारियों, टैक्स सलाहकारों में तकिया कलाम है कि टैक्स तो कमाई पर ही लागैलो!
_ऐसा ही एक फैसला अभी हाल ही में जयपुर इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल ने 15 सितम्बर 2020 को दिया है। केस का नाम है नवल किशोर सोनी। अपील नम्बर 1256,1257, 1258/JP/2019. केस argue किया है वरिष्ठ चार्टर्डअकाउंटेंट एस आर शर्मा जी ने।
If you already have a premium membership, Sign In.