जीएसटी ब्याज का प्रावधान – एक गंभीर विषय
जीएसटी ब्याज का प्रावधान – एक गंभीर विषय
जीएसटी की एक और विवादास्पद अधिसूचना जारी
जीएसटी की एक और विवादास्पद अधिसूचना संख्या 63 /2020 दिनांक 25 अगस्त 2020 जारी की है जिसके अनुसार जीएसटी में नेट टैक्स पर ब्याज लगाने का प्रावधान अब 1 सितम्बर 2020 से लागू होगा जब कि प्रारम्भ से ही यह प्रावधान ग्रॉस टैक्स पर लगने वाले ब्याज का प्रावधान अविवेकपूर्ण , अतार्किक एवम प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध था और स्वय जीएसटी कौंसिल “नेट टैक्स” पर ब्याज लगाने के प्रावधान को 1 जुलाई 2017 से लागू करने की सिफारिश कर चुकी है .
यह एक विवादास्पद अधिसूचना है जो कि किसी भी कानून के तहत विवेक , तर्क और न्याय के सिद्धांतों को तोड़ते हुए जारी की गई है क्यों कि ब्याज तो उसी टैक्स की रकम पर होना चाहिए जो सरकार को भुगतान होने से रह गई है और ऐसा 1 जुलाई 2017 से होना चाहिए और अधिसूचना का अर्थ कुछ भी हो सरकार को किसी भी तरह यह व्यवस्था तो लानी ही होगी कि “नेट टैक्स” का प्रावधान 1 जुलाई 2017 से लागू हो .
जीएसटी कौंसिल की अध्यक्षा वित्तमंत्री स्वयं ही है और यह अधिसूचना भी उनके अधीन आने वाले वित्त मंत्रलय ने ही जारी की है और जीएसटी कौंसिल की मीटिंग के बाद उन्होंने स्वयं ही यह घोषणा की थी तो फिर क्या हम मान कर चलें कि एक ही व्यक्ति के तहत आने वाली दो संस्थाओं में विवाद है और इसी विवाद के चलते यह अन्यायपूर्ण और विवादास्पद अधिसूचना जारी हुई है . वित्त मंत्री महोदया इसकी अधिसूचना का औचित्य तय करे और इसके प्रभाव को 1 जुलाई 2017 से लागू करवाए यदि ऐसा नही हुआ तो जीएसटी कौसिल की उपयोगिता और विश्वसनीयता पर यह एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लग जाएगा.
इस अधिसूचना के जारी होने का कारण कुछ भी हो इसमें संशोधन अब शीघ्र जारी हो जाना चाहिए अन्यथा जीएसटी कानून से अब हमें ज्यादा न्याय की उम्मीद नहीं करनी चाहिए
कॉपी पढ़ें:
If you already have a premium membership, Sign In.