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क्या जीएसटी कभी सरल होगा ?

क्या जीएसटी कभी सरल होगा ?

 

इस शीर्षक से ही आपको समझ आ जाएगा कि इस समय जीएसटी सरल नहीं है लेकिन जैसा कि मैंने अभी एक दिन पहले ही लिखा है कि “जीएसटी को सफल होना है तो जीएसटी को सरल होना होगा” तो आइये देखें इस सवाल का जवाब कि जीएसटी क्या अब सरल होगा और इससे जुड़े सवाल कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को . जीएसटी को सफल होना है तो इसे सरल होना होगा इस विषय से ना सरकार को ऐतराज होना चाहिए ना डीलर्स को और ना ही जीएसटी से जुड़े सभी प्रोफेशनल्स को .

आइये सबसे पहले देखें कि जीएसटी कि सरलीकरण के एक बड़े दावे के साथ लाया गया जीएसटी जटिल क्यों हो गया कि इसके सरलीकरण के लिए आवाज उठाने की जरुरत हो गई. जीएसटी में रिटर्न फाइलिंग की व्यवस्था , इनपुट क्रेडिट देने से सम्बंधित नियम और इनपुट क्रेडिट के लेने पर लगाए गए अव्यवहारिक प्रतिबन्ध, टैक्स जमा कराने और उस पर ब्याज लग्नाने के प्रावधान , ई –वे सम्बंधित कानून , जीएसटी का वार्षिक रिटर्न और जीएसटी के अन्य प्रावधान इस तरह से बनाए गए की कर की चोरी रुक सके. यदि सरकार ने ऐसा किया भी है तो इसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन इस सोच के पीछे जो मानसिकता थी वह इतनी सख्त थी कि ये प्रक्रियाएं भी भी काफी सख्त हो गई जब कि कर की चोरी में जो डीलर्स शामिल होते हैं वह कुल डीलर्स का एक या दो प्रतिशत भी नहीं होते है और आप इन्हें डीलर्स कह भी नहीं सकते क्यों कि इनका उद्देश्य व्यापार करना नहीं होता है लेकिन इनके कारण पूरे उद्योग और व्यापार जगत को कठिन प्रक्रियाओं में उलझा कर रख दिया गया है .

देखिये , कर या राजस्व अपने आप में कोई उत्पाद नहीं है यह तो अर्थ व्यवस्था का एक सह- उत्पाद है और अगर अर्थव्यवस्था में व्यापार एवं उद्योग का विकास होता है तभी कर एकत्र होता है . आपको याद होगा कि जीएसटी लागू करते समय यह कहा गया था कि जीएसटी लागू होने से अर्तव्यवस्था का त्वरित विकास होगा तब भी मैंने लिखा था कि केवल किसी कर प्रणाली के लागू होने से अर्थव्यवस्था का विकास हो यह एक भ्रम है अर्थव्यवस्था के विकास में कई कारक होते हैं और इनमें सरल कर प्रणाली भी एक कारक हो सकती है . लेकिन यहाँ ध्यान दें कि यह नयी
कर प्रणाली सरल भी तो नहीं है इसलिए जीएसटी को अर्थव्यवस्था में जो योगदान देना था वह भी संभव नहीं हो पाया.

अब एक मुख्य साल – क्या जीएसटी कभी सरल होगा . इसका जवाब यह है कि जीएसटी के तीन मुख्य पक्ष हैं जिनमें से दो डीलर्स और प्रोफेशनल्स तो जीएसटी की जटिलताओं से परेशान हैं ही इसलिए वे तो सरल जीएसटी चाहतें ही हैं लेकिन उनके ये हाथ में नहीं है. जैसा कि मैंने ऊपर बताया सरल जीएसटी ही अर्थव्यस्था के विकास में एक बड़ा कारक हो सकता है और अर्थव्यस्था का विकास होगा तभी कर राजस्व में वृद्धी होगी और जीएसटी का तीसरा पक्ष अर्थात सरकार भी यही चाहेगी कि जीएसटी रास्व में वृद्धि हो तो यह पक्ष भी देर –सवेर यह समझ जाएगा कि जीएसटी का सरल होना जरुरी है इसलिए जीएसटी सरल तो होगा ही और मेरी राय में अब वह समय आ भी गया है जब कि सरकार को जीएसटी को सरल बनाने की और त्वरित कदम उठाने प्रारम्भ कर देने चाहिए क्यों कि जीएसटी को सफल होना है तो जीएसटी को सरल होना ही होगा.

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