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हिसाब तो बाप-बेटे का भी …

“हिसाब तो बाप-बेटे का भी …”

बुद्धिप्रकाश ने 45 की उम्र में बैंक से 1 करोड़ का हाउसिंग लोन 20 साल के लिए लिया, अब 60 की उम्र में रिटायर हो गया। बागबान के अमिताभ बच्चन की तरह पीएफ का पैसा वह पहले ही निकलवाकर अपने बच्चों की विदेश में मंहंगी पढ़ाई पर खर्च कर चुका था। उसके एक बेटा व एक बेटी थी। दोनों अविवाहित थे। बेटे की इंफोसिस में जॉब लग गई, बेटी की टीसीएस में। दोनों के अच्छे पैकेज थे।

नाम बुद्धिप्रकाश जरूर था, लेकिन उनके कभी EMI की गणित समझ मे नहीं आई। उनको 15 वर्ष हो गए किश्तें भरते हुए। बैंक वाले जब ब्याज की दर बढ़ती तो तुरन्त बढ़ा देते, घटती तो ऐसे लगता जैसे छोटा सा स्टार लगाकर लिखा हो कि ‘सिर्फ नए उधारियों को फांसने के लिए’। पुराने लोन होल्डर्स के लिए यह एक मृगतृष्णा ही रहती थी। बीच में 10 लाख का टॉपअप ले लिया था, टॉप अप को मिलाकर आज भी लोन 1 करोड़ ही पड़ा है। कम हुआ ही नहीं।

एक दिन बुद्धिप्रकाश ने तंग आकर कहा ये आधुनिक बैंकर, पुरानी हिंदी फिल्मों के सूदखोर कन्हैया लाल से कम क्रूर नहीं हैं। जो हीरोइन को उसकी माँ के गिरवी रखे हुए घर व स्वयं के घर के लिए कहता था, “यो घर भी तेरो, और वो घर भी तेरो….”। …….दोनों बच्चों के साथ बैठकर कुछ गम्भीर चर्चा की, कि बच्चे भी अच्छा कमा रहे हैं। इसलिए EMI में वे भी कॉन्ट्रिब्यूट करें।

इसके लिए वे अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास गए। उनसे डिस्कस किया। चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कहा, “भैया अभी-अभी कोरोनाकाल से जस्ट पहले 5 मार्च 2020 को इनकम टैक्स ट्रिब्युनल की बॉम्बे बेंच ने मोहम्मद हुस्सेन हबीब पठान बनाम सहायक आयकर आयुक्त के मामले में एक फैसला दिया है, जिसे सीए कीर्ति मेहता ने argue किया था, कि हबीब पठान का अविवाहित बेटा रोमन पठान व अविवाहित बेटी नेहा पठान, अपने पिताजी के घर में किराएदार हो सकते हैं और यह किराएदारी जेन्युइन है।

टैक्स डिपार्टमेंट ने इस किराएदारी को टैक्स reducing डिवाइस, अगेंस्ट ह्यूमन प्रोबबिलिटीज़, डिवाइस to अवॉयड टैक्स माना।

उस निर्णय को ट्रिब्यूनल ने पलट दिया।और कहा, हालांकि अपने ही घर में किराएदार होना unusual अरेंजमेंट लगता है फिर भी substantially फाइनेंसियल इंडिपेंडेंट बच्चे, अपनी इंडिपेंडेंट इनकम से, अपने कॉमन रेजिडेंस के, अपने पिताजी के इंटरेस्ट बर्डन को, बांटना चाहते हैं तो इसे fake अरेंजमेंट नहीं कहा जा सकता। सिर्फ इसलिए रेंटल इनकम को इग्नोर नहीं किया जा सकता कि यह करदाता के क्लोज रिलेटिव (बच्चों) से ही आ रही है। और इससे टैक्स सेविंग किया जाना भी allow है। इस जजमेंट के लिए ट्रिब्यूनल ने रेफेरेंस, सुप्रीम कोर्ट के फ़ेमस निर्णयों, यूनियन ऑफ इंडिया बनाम आज़ादी बचाओ आंदोलन व वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स बी वी से लिया

हाँ पठान फैमिली ने एक गलती की, कि जो रेंट एग्रीमेंट ड्राफ्ट किया उसमें यह कंक्रीट नहीं बताया कि कितना एरिया let आउट है?, कितना एरिया सेल्फ occupied by फादर है? इसलिए क्वांटम decide करने के लिए पठान एंड फैमिली का केस सेट aside करके AO को रिमांड कर दिया व निर्देश दिया कि रीजनेबल टाइम में, स्पीकिंग ऑर्डर with definite रीजनिंग पास किया जाए।

इसलिए आप यह गलती मत करना। एग्रीमेंट में कौनसा एरिया किराए पर दिया है, कितना क्षेत्रफल है, कॉमन फैसिलिटी क्या है, बिजली-पानी के लिए क्या क्लॉज़ होगा? लोकल टैक्सेज के क्लॉज़। अगर सोसाइटी को सूचित करने की जरूरत है तो वह पूरी करें। किरायानामा रजिस्टर्ड हो, तो और भी अच्छा। किराए का पेमेंट एग्रीमेंट में तयशुदा शर्तों के अनुसार नियमित रूप से हो। चेक से हो तो और भी अच्छा। अगर किराए का पेमेंट नकद हो तो, बैंक खाते से withdrawal हो, या sources क्लियर हों।

बुद्धिप्रकाश जी व उनके बच्चों के दोनों हाथों में लड्डू आते दिखे। उधर दोनों बच्चे अपने पिताजी को किराया देंगे। रसीद लेंगे। अपने HRA पर छूट लेंगे। उधर पिताजी रेंटल इनकम में से इंटरेस्ट की छूट लेंगे। उधर सीए साहब ने भी अच्छी फीस ले ली
वणिक समुदाय का फ़ेमस diologue है, हिसाब तो बाप-बेटे का भी होता है, को ट्रिब्यूनल ने स्वीकार कर लिया।

पिछले 25 साल से, हर साल 10-15 सैलरीड टैक्सपेयर यह पूछते हैं:- मैं मेरे पेरेंट्स से किराए की रसीद ले सकता हूँ? मैं मेरी सास से किराए की रसीद ले सकता हूँ?(एक खास तरह के करदाता ऐसे मकानों में रहते हैं, जो उनके सास-ससुर के नाम होते हैं, जो बाद में in laws द्वारा उनके नाम वसीयत/ गिफ्ट कर दिए जाते हैं) मैं मेरी पत्नी से किराए की रसीद ले सकता हूँ? इस प्रश्न का जवाब मुझे आज तक ठीक से नहीं मिला …..

एक पुराना 1989 का केस भी है:- ITO बनाम ए के राजगोपालन 29 ITD 346 (mad)

 

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Profile photo of CA Raghuveer Poonia CA Raghuveer Poonia

Jaipur, India

Since 1995, He is handling all aspects of trust- income-tax registration u/s 12A, 80G, 10 (23C), compliance work, FCRA, foreign grants, NITI Ayog registration, Auditing, due diligence of channel partners, GST on NGOs, Income Tax scrutiny related to NGO/NPO and Social Service Organisation (Society/Trust/section 8/25 of companies act). This is the core area of practice and he has been handling the most complex cases pertaining to the above aspects. He is handling litigation /cases/matters related to income tax, before the Assessing Officer, CIT Appeals, ITAT across India. He is handling litigation /cases/matters related to GST, before adjudicating authority, Commissioner (Appeals) across India. He provides consultancy and opinions on income tax and GST matters for corporates and B2B. He is a regular panelist on TV debates as an expert in the matters of economy, taxation, Income Tax, GST, etc. He is a regular blogger and avid contributor on Income Tax, GST, and current economic issues. He also, handle issues related to ED investigation under PMLA. He also handles matters before NCLT regarding IBC and Company Law. He is a regular speaker in seminars/webinars. He has developed a new passion to be a YouTuber on the core matters mentioned above.

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