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जीएसटी में सप्लाई की प्रकृति- अंतरप्रांतीय या राज्य के भीतर

जीएसटी में सप्लाई की प्रकृति- अंतरप्रांतीय या राज्य के भीतर 

सप्लाई की प्रकृति और स्थान का महत्त्व क्या है 

आईये बहुत ही आसान भाषा में समझें कि जीएसटी में सामान्य तौर पर जो  सप्लाई होती है वह राज्य के भीतर की सप्लाई है या अंतरप्रांतीय सप्लाई है,  इसका निर्धारण किस तरह से किया जाता है .  यह लेख अपवादों को छोड़ते हुए होनी वाली सामान्य सप्लाई से सम्बंधित है और इस प्रकार की सामन्य  सप्लाई के अपवाद और उससे जुडी हुई जटिलताएं का अध्ययन हम आने वाले दिनों में किसी और लेख में करेंगे.  इस लेख में भी कहीं कहीं हमने कुछ अपवादों की चर्चा जरुर की है लेकिन वे सभी नहीं हैं इसलिए इसके लिए हम एक और लेख का प्रयोग करेंगे. 

जीएसटी में जो कर का भुगतान होता है वह इस आधार पर होता है कि सप्लाई राज्य के भीरत है  या दो राज्यों के बीच है . यदि वह राज्य के भीतर है तो इस पर एसजीएसटी और एसजीएसटी कर लगेगा और यदि दो राज्यों के बीच है अर्थात अंतरप्रांतीय है तो इस पर आईजीएसटी कर लगेगा .इस प्रकार जीएसटी में कर का प्रकार को जानने के लिए व्यवहार की प्रकृति मालुम करना बहुत जरुरी है. 

किसी भी सप्लाई की प्रकृति क्या होगी अर्थात यह राज्य के भीतर है या अंतरप्रांतीय अर्थात 2 राज्यों के बीच है यह तय करने के प्रावधान इंटीग्रेटेड गुड्स एवंम सर्विस टैक्स कानून में दिया गया है और इस लेख में जिन भी प्रावधान का जिक्र है  वह इंटीग्रेटेड गुड्स एवंम सर्विस टैक्स 2017 से है .

अंतरप्रांतीय सप्लाई

इस सम्बन्ध में इंटीग्रेटेड गुड्स एवंम सर्विस टैक्स कानून की धारा 7 है  जिसमें इस सम्बन्ध में प्रावधान बनाए गए हैं . आइये देखें धारा 7 और इसकी उपधाराओं में क्या दिया हुआ है :-

S.NO.

Section

The subject of the Section

1.`

7(1)

माल की अंतरप्रांतीय सप्लाई 

2.

7(2)

माल का आयात 

3

7(3)

सेवाओं की अंतरप्रांतीय सप्लाई

4.

7(4)

सेवाओं का आयात 

5

7(5)

अंतरप्रांतीय सप्लाई की विशिष्ट परिस्थितियाँ 

 

माल की अंतरप्रांतीय सप्लाई धारा  7(1)

इंटीग्रेटेड गुड्स एवंम सर्विस टैक्स 2017 की धारा 7 (1) के अनुसार माल की अंतरप्रांतीय बिक्री तब होगी जब कि माल की सप्लाई का स्थान एवं सप्लायर की स्तिथी निम्न प्रकार से हो (धारा 10 के अपवादों को छोड़कर ) :-

 

दो अलग –अलग राज्यों में हो .

दो अलग- अलग केंद्र शासित राज्यों में हो .

एक राज्य और एक केंद्र शासित राज्य में हो .

 

इसे आप सरल शब्दों में समझने का प्रयास करें तो यह होगा कि माल कि सप्लाई के सम्बन्ध में यदि माल की सप्लाई का स्थान और माल के सप्लायर के स्तिथी एक ही राज्य या एक ही केंद्र शासित राज्य में ना हो .   

आइए इसे कुछ सरल उदाहरणों से समझने की कोशिश करें :- 

एक्स एंड कंपनी गुजरात ने वाय एंड कंपनी राजस्थान से कुछ माल ख़रीदा है . यहाँ ये माल की अंतरप्रांतीय सप्लाई है क्यों कि माल की सप्लाई की स्तिथी गुजरात में है और माल के सप्लायर की स्तिथी राजस्थान में है . इस तरह माल की सप्लाई और माल के सप्लायर की स्तिथी दो अलग –अलग राज्यों में है इसलिए यह अंतरप्रांतीय सप्लाई है.

एक्स एंड कंपनी लक्षद्वीप ने वाय एंड कंपनी चंडीगढ़ से कुछ माल ख़रीदा है . यहाँ ये माल की अंतरप्रांतीय सप्लाई है क्यों कि माल की सप्लाई की स्तिथी लक्षद्वीप  में है और माल के सप्लायर की स्तिथी चंडीगढ़ में है . इस तरह माल की सप्लाई और माल के सप्लायर की स्तिथी दो अलग –अलग केंद्र शासित राज्यों में है इसलिए यह अंतरप्रांतीय सप्लाई है.  

एक्स एंड कंपनी चंडीगढ़  ने वाय एंड कंपनी राजस्थान से कुछ माल ख़रीदा है . यहाँ ये माल की अंतरप्रांतीय सप्लाई है क्यों कि माल की सप्लाई की स्तिथी चंडीगढ़ में है और माल के सप्लायर की स्तिथी राजस्थान में है . इस तरह माल की सप्लाई एक केंद्र शासित प्रदेश में है  और माल के सप्लायर की स्तिथी एक राज्य में है  इसलिए यह अंतरप्रांतीय सप्लाई है.

 

सेवाओं की अंतरप्रांतीय सप्लाई धारा  7(3)

धारा 7(3) के अनुसार जब सेवा की सप्लाई का स्थान और सप्लायर की स्तिथी निम्न प्रकार है तो इसे सेवा की अंतरप्रांतीय सप्लाई कहा जाएगा :-

दो अलग –अलग राज्यों में हो .

दो अलग- अलग केंद्र शासित राज्यों में हो .

एक राज्य और एक केंद्र शासित राज्य में हो .

 

आइये इसे एक नीचे दी गई सूचि से समझने का प्रयास करें :-

सप्लायर की स्तिथी 

सप्लाई का स्थान 

कर 

राजस्थान 

महाराष्ट्रा 

IGST

चंडीगढ़ 

लक्षद्वीप   

IGST

राजस्थान  

लक्षद्वीप 

IGST

 

यदि इसे हम सरल भाषा में समझने के लिए इसे देखें तो यह इस तरह से है कि जब सेवा की सप्लाई का स्थान और सप्लाई की स्तिथी यदि किसी एक राज्य या किसी एक केंद्र शासित प्रदेश में ना हो तो यह अंतरप्रांतीय सेवा की सप्लाई कहलाएगी . 

राज्य के भीतर सप्लाई

जब सप्लायर की स्तिथी और सप्लाई का स्थान एक ही राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में हो तो इसे राज्य के भीतर सप्लाई कहते हैं . इंटीग्रेटेड गुड्स एवंम सर्विस टैक्स कानून की धारा 8 में इस सम्बन्ध में प्रावधान दिए गए हैं .

इंटीग्रेटेड गुड्स एवंम सर्विस टैक्स कानून की धारा 8 का विवरण इस प्रकार है :-

क्र. स.

धारा 

विवरण 

1.`

8(1)

राज्य के भीतर माल की सप्लाई 

2.

8(2)

राज्य के भीतर सेवाओं की सप्लाई 

 

राज्य के भीतर माल की सप्लाई धारा  8(1)

जब माल के सप्लायर की स्तिथी और माल के सप्लाई का स्थान एक ही राज्य या एक ही केंद्र शासित प्रदेश में हो तो इसे माल की राज्य के भीतर सप्लाई कहते हैं . 

यहाँ ध्यान रखें कि जो धारा 8(1) में राज्य के भीतर सप्लाई की परिभाषा दी गई है उसके कुछ अपवाद भी है . आइये इन्हें भी देख लें और यह याद रखें कि इन परिस्तिथियों में यदि माल के सप्लायर की स्तिथी और माल के सप्लाई का स्थान एक ही राज्य या एक ही केंद्र शासित प्रदेश में ही हुआ तब भी वह राज्य के भीतर सप्लाई नहीं मानी जायेगी अर्थात इन परिस्तिथियों में सप्लाई अंतरप्रांतीय मानी जायेगी :-

क्र. स.

धारा 8(1) के अपवाद 

1.

जब कोई सप्लाई तो स्पेशल इकनोमिक जोन के डेवलपर या स्पेशल इकनोमिक जोन यूनिट को की जाए या उनके द्वारा की जाए.

2.

भारत के राज्य क्षेत्र में कोई आयातित माल , जब तक कि वह भारत की सीमा शुल्क सरहद को पार करता है 

3.

धारा 15 के तहत किसी पर्यटक को की गई सप्लाई 

 

सेवाओं की राज्य के भीतर सप्लाई धारा  8(2)

इंटीग्रेटेड गुड्स एवंम सर्विस टैक्स कानून की धारा 8(2) के अनुसार जब सेवा के सप्लायर की स्तिथी और सेवा की सप्लाई का स्थान एक ही राज्य या एक ही केंद्र शासित प्रदेश में हो तो इसे सेवा की राज्य के भीतर सप्लाई कहते हैं .

लेकिन यहाँ भी ध्यान रखे कि जब किसी सेवा की सप्लाई स्पेशल इकनोमिक जोन डेवलपर द्वारा या स्पेशल इकनोमिक जोन यूनिट के द्वारा दी जा रही है तो यह हमेशा अंतरप्रांतीय सप्लाई ही कहलाएगी और इसी तरह जब किसी सेवा की सप्लाई स्पेशल इकनोमिक जोन डेवलपर द्वारा या स्पेशल इकनोमिक जोन यूनिट को की जा रही है तब भी यह सप्लाई हमेशा अंतरप्रांतीय ही कहलाएगी .

एक और विशेष परिस्तिथि का जिक्र करना जरुरी है क्यों कि यह स्तिथी भी सप्लाई के दौरान कई बार आती है इसलिए इस स्तिथी का अध्ययन भी हम यहाँ विशेष तौर पर कर रहें है :-

जब माल किसी तीसरे व्यक्ति के निर्देश पर डिलीवर किया गया हो. धारा 10(1)(b)

आइये धारा 10(1)(b) को देखें और यह एक बड़ी ही विचित्र स्तिथी से सम्बंधित है जहां माल खरीदता कोई और है और इसकी डिलीवरी उस खरीददार के निर्देश पर किसी और व्यक्ति को की जाती है . ऐसे में जो निर्देश देने वाला व्यक्ति होता है उसी का व्यवसाय स्थल माल की सप्लाई का स्थान माना जाता है . यह एक विचित्र स्तिथी है और इसको एक उदाहरण के जरिये पहले समझ लें कि यह स्तिथी उत्पन्न किस तरह होती है :-

एक्स एंड कंपनी नई दिल्ली माल का एक आर्डर वाय एंड कम्पनी अजमेर को इस निर्देश पर देती है कि इसकी डीलिवेरी जेड एंड कम्पनी उदयपुर को दी जाए . यहाँ यह ध्यान रखें कि माल का सप्लायर वाय एंड कम्पनी अजमेर है और एक्स एंड कंपनी नई दिल्ली खरीदादर है जिसके निर्देश पर मॉल की सुपुर्दगी जेड एंड कम्पनी उदयपुर को की जा रही है .

आब इस केस में माल अजमेर से चला और उदयपुर गया अर्थात राजस्थान से राजस्थान में ही गया है लेकिन आप ध्यान रखें कि ऐसा नई दिल्ली के व्यापरी के निर्देश पपर किया गया है तो इस धारा 10(1)(b) के अनुसार इस माल की सप्लाई का स्थान नई दिल्ली होगा और इस प्रकार से यह एक अंतरप्रांतीय सप्लाई होगी और इसमें बिल नई दिल्ली के डीलर के नाम बनेगा और कर आईजीएसटी लगेगा . 

 

यहाँ आप ध्यान रखें कि जिसे माल मिल रहा है उसके साथ सप्लायर का कोई करार नहीं है और उसे माल किसी तीसरे आदमी के निर्देश पर , जिसके साथ सप्लायर का करार है माल भेजा जा रहा है और धारा 10(1)(b) के अनुसार ऐसे में इस तीसरे व्यक्ति के व्यवसाय का मुख्य स्थान ही माल की सप्लाई का स्थान होगा .

बिल टू शिप टू के केस भी इसी धारा के तहत आते हैं .

आइये इस प्रावधान को नीचे दी गयी एक सूचि के जरिये समझने का प्रयास करें :- 

सप्लायर की स्तिथी 

उस तीसरे व्यक्ति के व्यवसाय का मुख्य स्थान जिसने माल का आर्डर दिया  (जिसके नाम बिल बनना है )

माल की डिलीवरी का स्थान जो कि तीसरे व्यक्ति के निर्देश पर की गयी है 

माल की सप्लाई का स्थान 

कर जो लगना है 

राजस्थान  

देहली 

राजस्थान 

देहली 

आइजीएसटी 

राजस्थान

राजस्थान  

देहली 

राजस्थान 

एसजीएसटी / सीजीएसटी 

 

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