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ट्रस्ट: कम्पलीट कंप्लायंस” पार्ट 10

ट्रस्ट: कम्पलीट कंप्लायंस” पार्ट 10

ट्रस्ट के गठन कैसे होता है?

सोसाइटी या ट्रस्ट या कम्पनी? कौन better?

इनकम टैक्स में रजिस्ट्रेशन व अन्य नियम भी जानिए

1. दो तरह की संस्थाएं। एक. प्रॉफिट motive दूसरी NPO जिन्हें सामान्य बोलचाल में NGO कहते हैं।

2. Non Profit आर्गेनाईजेशन को स्वैच्छिक संस्था, स्वयं सेवी संस्था, voluntry आर्गेनाईजेशन, NGO आदि नामों से पुकारते हैं। जिनका गठन मुख्यत: तीन फॉरमेट में हो सकता है :-

(i) ट्रस्ट,

इंडियन ट्रस्ट एक्ट 1881, ट्रस्ट के लिए बेसिक कानून है, सबसे पुराना। इस कानून के प्रावधनों के अनुसार ट्रस्ट डीड execute करना होता है, जिसको नोटरी से भी अटेस्ट करा सकते हैं व सम्बन्धित sub- रजिस्ट्रार के यहां भी रजिस्टर्ड करा सकते हैं।

देवस्थान विभाग या चैरिटी कमिश्नर के यहाँ रजिस्ट्रेशन:-

राज्य सरकारों द्वारा अपने-अपने राज्य में ट्रस्ट की गवर्नेंस के लिए अलग अलग एक्ट हैं, जैसे:-
राजस्थान सरकार का एक्ट राजस्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट 1959 है, जिसके तहत ट्रस्ट के गठन करने के बाद देवस्थान विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

वैसे ही बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 है, जो गुजरात एवम महाराष्ट्र दोनो स्टेट्स में लगता है वहां चैरिटी कमिश्नर के यहॉं ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कराना होता है।

(ii) सोसाइटी:

सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 है। जिसमें यह प्रावधान है कि कोई राज्य चाहे तो अपना सोसाइटी एक्ट बना सकती है। चाहे तो सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 को स्वीकार कर सकती है।

राजस्थान सरकार ने, राजस्थान सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1958 बना रखा है। कुछ राज्यों ने 1860 के एक्ट को ही स्वीकार कर रखा है।

(iii) नॉन प्रॉफिट मेकिंग कंपनी u/s 8 ऑफ कम्पनीज एक्ट 2013 (पुरानी सेक्शन 25 of कम्पनीज एक्ट 1956)

सेक्शन 8 में रजिस्टर्ड कम्पनी के अंत में लिमिटेड शब्द लगाने की छूट है। अगर पहले से नाम में लिमिटेड शब्द लगा हो तो उसको हटा भी सकती है। पिंक सिटी प्रेस क्लब, राजस्थान चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज, कम्पनीज एक्ट में रजिस्टर्ड है।

(iv) राजस्थान नॉन ट्रेडिंग कम्पनीज ऐक्ट 1961

ट्रेड एसोसिएशन व इंडस्ट्रियल associations ज्यादातर इस एक्ट में रजिस्टर्ड हैं। जैसे FORTI,राजस्थान टैक्स कंसल्टेंट्स एसोसिएशन, जयपुर क्लब, टैक्स कंसलटेंट एसोसिएशन, जयपुर इस एक्ट में रजिस्टर्ड हैं।

3. कौनसा फॉरमेट better??

ट्रस्ट propritery की तरह, सोसाइटी डेमोक्रेटिक, कम्पनी मॉडर्न ट्रेंड-विदेश से आया कॉरपोरेट कल्चर।

3. नॉन प्रॉफिट मेकिंग का अर्थ, ?

एक्टिविटी से फीस चार्ज कर सकते हैं। सरप्लस आ सकता है।

3A. अगर फीस चार्ज कर सकते हैं तो फिर, बिजनेस से डिफरेंट कैसे?

क्योंकि सरप्लस को ऑब्जेक्ट के लिए plough back करना पड़ेगा। डिविडेंड नहीं दे सकते।

Examples:-

जो बहुत मंहगे हैं, बड़ा बैंक बैलेंस, ट्रेडिंग करते हैं फिर भी NPO है।: दुर्लभजी हॉस्पिटल, सेंट जेवियर स्कूल, क्रिकेट संघ, साबरमती गौशाला, सीए इंस्टिट्यूट, राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन, BCCI, साई पब्लिकेशन

4.  इनकम टैक्स की कंप्लायंस:-

(i) पैन लेना पड़ेगा। रिटर्न भरनी पड़ेगी।

(ii) म्यूच्यूअल बेनिफिट संस्थाएं:

जो सिर्फ अपने मेंबर्स से फीस लेकर उनको सेवाएं देती हैं। तो उन संस्थाओं के सरप्लस पर कांसेप्ट ऑफ mutuality के आधार पर इनकम टैक्स नहीं लगता, लेकिन म्यूच्यूअल बेनिफिट सोसाइटी की other इनकम टैक्सेबल है। म्यूच्यूअल बेनिफिट सोसाइटी के उदाहरण क्लब्स जो सिर्फ अपने मेंबर्स को सेवाएं देती हैं। मेंटिनेंस सोसाइटी भी म्यूच्यूअल बेनिफिट सोसाइटी आदि।

(iia) एजुकेशनल इंस्टिट्यूट जिसकी ग्रॉस रिसिप्ट्स 1 करोड़ से कम हों:-

ऐसी शैक्षणिक संस्था को धारा 10(23C)(iiiad) में छूट है। बिना किसी रहिस्ट्रेशन के

(iii) इनकम टैक्स में धारा 12A का रजिस्ट्रेशन:-

म्यूच्यूअल बेनिफिट सोसाइटी व 1 करोड़ से कम ग्रॉस रिसिप्ट्स वाली शैक्षणिक संस्था के अलावा सबको धारा 12ए में रजिस्ट्रेशन कराना होता है।

(iv) इनकम टैक्स में धारा 80जी का रजिस्ट्रेशन:-

अगर कोई संस्था डोनेशन लेना चाहती है तो डोनर को इनकम टैक्स में छूट मिले इसलिए धारा, 80G में रजिस्ट्रेशन कराना होता है।

(v) धारा 80 जी/ 12A का नवीनीकरण :-

1अक्टूबर के बाद, धारा 12A व 80 जी के सभी रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो जाएंगे। और सभी को नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन अप्लाई करना होगा। जो इनकम टैक्स विभाग बिना इन्क्वारी किए 5 साल के लिए नवीनीकरण कर देगा।

(vi) फ्रेश रजिस्ट्रेशन:-

एक अक्टूबर के बाद जो भी रजिस्ट्रेशन होंगे वे प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन होंगे, जो 3 वर्ष तक वैलिड होंगे। इसके लिए इन्क्वारी नहीं होगी। सिर्फ ट्रस्ट के ऑब्जेक्ट examine होंगे।

(vii) जब ट्रस्ट एक्टिविटी स्टार्ट कर देगा तो, एक्टिविटी स्टार्ट करने के 6 माह के भीतर, परमानेंट रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा।

(viii) ट्रस्ट को अपनी इनकम का 85% ट्रस्ट के ऑब्जेक्ट के लिए अप्लाई करना होता है, अगर कोई shortfall रहता है तो टैक्सेबल है। इसलिए तिरुपति बालाजी आदि बहुत भारी टैक्स पे करते हैं। स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल्स आदि के मामले में 85% की गणना विवादित है, कि ग्रॉस रिसिप्ट्स का 85% खर्च करना होगा या नेट सरप्लस का। मेरी राय में ग्रॉस रिसिप्ट का। ITR-7 भी कुछ इसी तरह डिज़ाइन किया है।

(ix) अगर किसी कारणवश ग्रॉस रिसिप्ट्स का 85% ट्रस्ट के ऑब्जेक्ट के लिए अप्लाई नहीं हो सकता तो accumulation के लिए अप्लाई करना होता है।

(x) ऑब्जेक्ट क्लॉज़ में चेंज होता है, तो दुबारा रजिस्ट्रेशन।

(xi) पदाधिकारियों के साथ ट्रांजेक्शन:-, सैलरी: ट्रस्टी/ पदाधिकारी को सैलरी, फीस, किराया, ब्याज आदि दे सकते हैं, लेकिन बाजार रेट से ज्यादा नहीं।

(xii) क्या ट्रस्ट की रेंटल इनकम पर रिपेयर्स का डिडक्शन मिलेगा? कैपिटल गेन, कैसे टैक्सेबल होगा?

यह एक विवाद का विषय रहा है। लेकिन जब धारा 11, 12, 13 की पूरी स्कीम देखते हैं तो यह समझ बनती है कि यह इंडिपेंडेंट कोड है और टैक्सेबल इनकम की केलकुलेशन के लिए हाउस प्रॉपर्टी, कैपीटल गेन व बुजीनेस के चैप्टर के प्रावधान नहीं लगेंगे। संस्था के कैपिटल गेन के प्रावधान धारा 11(1A) में अलग से दिए हैं

(xiii) डेप्रिसिएशन:- एक्ट में संशोधन हो गया। ट्रस्ट को डेप्रिसिएशन नहीं मिलेगा। वैसे फिक्स्ड एसेट्स के एक्वीजिशन को पूरा का पूरा ही एप्लीकेशन मान लिया जाता है। तो डबल बेनिफिट मिलना भी नहीं चाहिए।

(xiv) क्या डोनेशन कैश में ले सकते हैं:- रुपये 2 हजार से ज्यादा नकद लिया तो डोनर को धारा 80 जी की छूट नहीं मिलेगी। लेकिन 199999/ तक कैश में ले सकते हैं, अर्थात 2 लाख से कम डोनेशन नकद में स्वीकार करने की कोई मनाही नहीं है।

(xv) डोनेशन की रसीद:- संस्था द्वारा डोनेशन की रसीद देने के साथ साथ इस साल से डोनेशन की रिटर्न ऑनलाइन भी भरनी पड़ेगी। उसी रिटर्न से डोनर के पैन पर डोनेशन रिफ्लेक्ट हो जाएगा और छूट मिल जाएगी।

(xvi) कैश पेमेंट: रुपए 10 हजार से अधिकर खर्चा नकद में किया तो एप्लीकेशन नहीं माना जाएगा।

(xvii) कोरपस डोनेशन: कोरपस डोनेशन कैपीटल रिसिप्ट होती है। उसको अप्लाई करना जरूरी नहीं है।

(xviii) क्या ट्रस्ट बुजीनेस कर सकता है। सिर्फ वही बिजनेस कर सकता है जो उद्देश्यों के लिए जरूरी हो। या ancillary हो, ऑब्जेक्ट के लिए। सेपरेट सेट ऑफ बुक्स रखना पड़ेगा। लेकिन गैशाला बिजनेस नहीं है। सीए इंस्टिट्यूट कोचिंग चलाती है, वह भी बिजनेस नहीं है।

@धारा 11(4), 11(4A)

@ACIT बनाम thanthi trust 247 ITR 785 (SC)

@CIT बनाम Gujarat maritime board 295 ITR 561 (sc)

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Profile photo of CA Raghuveer Poonia CA Raghuveer Poonia

Jaipur, India

Since 1995, He is handling all aspects of trust- income-tax registration u/s 12A, 80G, 10 (23C), compliance work, FCRA, foreign grants, NITI Ayog registration, Auditing, due diligence of channel partners, GST on NGOs, Income Tax scrutiny related to NGO/NPO and Social Service Organisation (Society/Trust/section 8/25 of companies act). This is the core area of practice and he has been handling the most complex cases pertaining to the above aspects. He is handling litigation /cases/matters related to income tax, before the Assessing Officer, CIT Appeals, ITAT across India. He is handling litigation /cases/matters related to GST, before adjudicating authority, Commissioner (Appeals) across India. He provides consultancy and opinions on income tax and GST matters for corporates and B2B. He is a regular panelist on TV debates as an expert in the matters of economy, taxation, Income Tax, GST, etc. He is a regular blogger and avid contributor on Income Tax, GST, and current economic issues. He also, handle issues related to ED investigation under PMLA. He also handles matters before NCLT regarding IBC and Company Law. He is a regular speaker in seminars/webinars. He has developed a new passion to be a YouTuber on the core matters mentioned above.

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