Sweet poem on GST in Hindi
“आये थे तुम यूँ एक रोज मेहमान बनके ,
क्या थी खबर ,की हम सब ही हो जायेंगे आपके “
याद है हमें आज भी 1 जुलाई 2017 की वो पेहली सुबह ,जब दी थी दस्तक तुमने पहली बार ,
सब जगह बस तुम ही तुम थे ,जो हो चाहे TV ,RADIO या हो अखबार।
हमने भी गले से लगाया था तुम्हे मानकर अपना मेहमान ,
अतिथि सत्कार में तुम्हरे follow करते गए सारे सरकारी फ़रमान ,
Transitional credit के उपहार दिए तुमने ,नयी दिशा ,नए नियम ,नये व्यापार दिये तुमने ,
बस अब यही था अरमान दिल में बाकी ,
कोई आये और समझाये तुम्हें ,कोई गलती न हो ताकी।
R1 ,3B ,R1 ,3B हम सब ON -LINE फाइल करते गए ,
LATE FEE ,INTEREST और PENALTY ना चाहते हुए भी भरते गए।
सुना था कहीं से की return filing तो कोई 10वीं का छात्र भी कर सकता है ,मन में आया तू तो MBA FINANCE है ,तुझ से अच्छा भला इसे ओर कौन भर सकता है
लेकर होंसला मन में ,पोर्टल पे login कर डाला ,मन में चल रहा था झींगा लाला -झींगा लाला ,बस 2 ही minute हुए थे ऑनलाइन ,लग गया मुँह पे ताला
आते ही तुम्हारे software बाजार गर्म हो गये ,
मैन्युअल entries , रोकड़ ,नक़ल बस भ्रम हो गये
RULES पे RULES follow करते -करते थोड़े MAD से हो गये,
मुनीम ,वकील ,और CA सब favourite लिस्ट में ADD से हो गये।
PAPER -LESS GST सोचकर गम थोड़े कम हो गए ,
अरे ! पहली return में ही A4 के 2 रिम ख़तम हो गए।
अभी संभले ही थे , क्यूंकि लेट-फी के माफी के फैसले मन को भा गए
इतने में ही RCM और EWAY -BILL के दो CYCLON आ गए
NOTIFICATIONS की आँधियों ने हमें घेर कर लिया
भूख प्यास ,सब छोड अपने आप को ढेर कर लिया
थोड़ी कमियां और loop – holes समझ कुछ मौका परस्त बाजार लूट गए
और यहाँ ,भाई-बहिन ,रिश्ते -नाते ,दोस्त मित्र , सब पीछे छूट गए
होली ,दिवाली सब festivals , अब सपने -से हो गए
अब तो GST HELPLINE वाले बस अपने -से हो गए
अब आगे होगा क्या ,ये सोचकर डर जाता हूँ ,लोग क्या कहेंगे ,
इसीलिए लहू का घूँट सा भर जाता हूँ
इसी कश -म -कश में था की कज़िन की शादी का कार्ड आ गया ,
अभी खोला ही था की जूनियर असिस्टेंट संदेशा लेकर बहार आ गया ,
बहुत ही आदरणीय client फ़ोन पर थे,जिनके 20 -25invoice 2 -A में कम थे
माथा पकड़ लिया भाई फ़ोन काटकर ,मन किया जान दे दूँ हीरा चाटकर।
SECTION 42 /43 की तरह तुमने आधा सुख -चैन [ITC ] छीन लिया
और 17 (5 ) में आकर हमें सोसाइटी से ही block कर दिया
हालत तो अब बस शोले के ‘ठाकुर ‘ जैसी हो गयी है
कर कुछ सकते नहीं ,सहने की आदत से हो गयी है
कभी कभी मन करता है ,जाएँ और council से पूछें उनकी राय ,
जब पूरी तैयारी ही नहीं थी ,तो क्यों सेक्शन 49A { itc set -off } लाये।
बादल अभी छंटे ही थे की ANNUAL RETURN – 9 का तूफ़ान आ गया ,
जिसने पिछले सारे जख्मों को फिर से हरा कर दिया।
कहाँ से चले थे और कहाँ आ गए हम
मन भर आया है ,आँखें है नम।
हाथ जोड़कर विनती है हमारी , इस कविता के जरिये , इसे पनाह दो ,
GST को सरल ,सरल और सरल बना दो
” जय हिंद ,जय भारत “
धन्यवाद !
ईशांत बंसल _हरियाणा
A TAXPAYER ऑफ़ इंडिया
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